यह अलग बात है कि दोस्तों, मेहमानों, रिश्तेदारों के लिए इनका घर सराय की तरह सर्वदा सुलभ हो सकता है।
कुछ तो गडबड है, सिंगल क्यों है आखिर? कहीं हार्ट ब्रेक का मारा तो नहीं बेचारा..? अब तक मिस राइट नहीं मिली क्या..? कहीं गे तो नहीं..? कोई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम तो नहीं..? सिंगल और वह भी 30-40 पार का, अडोसी-पडोसी सहित पूरा समाज चिंतित होने लगता है। अकेली जिंदगी जीने वाला व्यक्ति ऐसी मनोरंजक किताब की तरह है, जिसे कलीग्स, पडोसियों से लेकर ड्राइवर-मेड-धोबी और कुक तक पढना चाहते हैं और अपनी-अपनी समझ से कहानी के अर्थ निकालते-सुनाते हैं। यह ऐसी किताब होती है जिस पर लेखक के अलावा पूरी दुनिया का कॉपीराइट होता है। तुर्रा यह कि लेखक को रॉयल्टी देना तो दूर, क्रेडिट तक नहीं दिया जाता। दरियादिली-विनम्रता से पेश आएं तो करेक्टर पर सवाल, गुस्सा या खीझ दिखा दें तो फ्रस्टेटेड..।
यह अलग बात है कि दोस्तों, मेहमानों, रिश्तेदारों के लिए इनका घर सराय की तरह सर्वदा सुलभ हो सकता है।
यार, तेरे घर एक पार्टी रख लें आज?
गांव वाले मामा जी के ससुर जी के भाई
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